मीका भाभी से ,कविता -20-Aug-2024
माँ से मायका नहीं है होता यह होता है भाभी से।
हमने,आपने सबने सुना है माँ से मायका होता है, रुखा-सूखा जो भी खिला दे अजब जायका होता है।
हांँ,मैं इसको गलत ना कहती यह बिल्कुल है सच्ची बात, ना दुनिया बेरंग है लगती जब तक माँ है अपने साथ।
माँ ने तो हमें जन्म दिया है वो तो सदा ही अपनी है, मांँ के रहते कभी मरुस्थल में ना किसी को तपनी है।
पर जब एक दिन मांँ का छाजन हर सिर से छिन जाएगा, सही बताओ उस दिन क्या हमें मायका याद ना आएगा।
याद आएगा इतना कि आंँखें थमने का नाम न लेंगी, फिर भाभी हमें गले लगाकर हमको माँ सा प्यार करेंगी।
फिर मांँ के हर दायित्वों का भाभी ही निर्वाह करेंगी, कर्तव्यों के ग्रंथ को पढ़कर सबका वो परवाह करेंगी।
सावन माह में बेटी को जब मायूसी आ घेरेगी, भाभी का प्यारा सा बुलावा मायूसी को फेरेगी।
अपनी फुलवारी को छोड़कर मम्मी दजे लोक गईं, फुलवारी की फूल आप भी सच कहती हूंँ मेरे दई।
संयम अपनेपन की मूर्ति कोसों दूर है गाभी से माँ से मायका नहीं है होता यह होता है भाभी से।
साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
Arti khamborkar
21-Sep-2024 08:51 AM
v nice
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